राजधानी रांची के 1957 का बड़ा तालाब और आज का विवेकानंद सरोवर: एक दुर्लभ तुलनात्मक तस्वीर
राजधानी का ऐतिहासिक बड़ा तालाब संकट में: 175 साल पहले कैदियों ने बनाया, पालकोट राजा ने सजाया; आज अतिक्रमण और जहरीले पानी का शिकार
रांची। झारखंड की राजधानी और हृदय स्थली माना जाने वाला बड़ा तालाब (Bada Talab), अपनी 175 वर्ष पुरानी विरासत के बावजूद आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। लगभग 52 एकड़ में फैला यह ऐतिहासिक जल निकाय, जो कभी शहर का पहचान था, अब प्रदूषण, बढ़ता अतिक्रमण और सरकारी उपेक्षा का शिकार हो चुका है।
⏳ ब्रिटिश काल की नींव और इंजीनियरिंग का चमत्कार
इस विशाल तालाब की कहानी ब्रिटिश काल से जुड़ी है। इसका निर्माण वर्ष 1842 में अंग्रेज अफसर कर्नल ओन्सले (Colonel Onseley) द्वारा शुरू करवाया गया था। इतिहास बताता है कि इस चुनौतीपूर्ण परियोजना को पूरा करने के लिए कैदियों की मदद ली गई थी। इसकी इंजीनियरिंग इतनी सुदृढ़ है कि भीषण गर्मी में भी, जब रांची के अन्य जल निकाय सूख जाते हैं, यह तालाब तब भी पानी से लबालब रहता है, जो इसके स्थायी निर्माण का प्रमाण है।
👑 पालकोट स्टेट का सांस्कृतिक स्पर्श
जब इसका निर्माण हो रहा था, उस समय रांची पालकोट स्टेट के अधीन थी। पालकोट के राजा जगरनाथ शाहदेव और उनके भाई कुंवर श्रीनाथ शाहदेव ने तालाब के किनारे एक भव्य घाट और भवन का निर्माण कराकर इसे सांस्कृतिक केंद्र बनाया। इस घाट ने रांची के लोगों को श्राद्ध-कर्म, मुंडन और अन्य महत्वपूर्ण संस्कारों के लिए एक पवित्र और स्थायी स्थान प्रदान किया।
💧 वर्तमान दुर्दशा: स्वास्थ्य और विरासत को खतरा
सदियों से शहर की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धुरी रहा यह तालाब आज गंभीर रूप से दूषित है:
* जल प्रदूषण: शहरी कचरे और प्रदूषण के कारण तालाब का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है, जिससे जल की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हुई है।
* अतिक्रमण: ऐतिहासिक विरासत होने के बावजूद, लगातार हो रहे अतिक्रमण के कारण इसके किनारों का क्षेत्र सिकुड़ गया है, और इसका प्राकृतिक स्वरूप नष्ट हो रहा है।
* उपेक्षा: राजा-महाराजाओं की विरासत समाप्त होने के साथ ही, तालाब और घाट दोनों की स्थिति जर्जर होती चली गई है।
🗺️ नगर निगम का सर्वेक्षण: अतिक्रमण और जल क्षेत्र का खुलासा
हाल ही में, रांची नगर निगम के प्रशासक सुशांत गौरव ने विवेकानंद सरोवर (बड़ा तालाब) का विस्तृत निरीक्षण और ड्रोन सर्वेक्षण कराया। नगर निगम के Municipal Survey (MS) मैप्स के साथ भौतिक सत्यापन करने पर निम्नलिखित तथ्य सामने आए:
* कुल परिसर क्षेत्र: 53 एकड़ 22 डिसमिल।
* वास्तविक जल क्षेत्र (Water Body): लगभग 46 एकड़।
* अन्य संरचनाएं: शेष लगभग 8 एकड़ क्षेत्र में सड़क, शौचालय, पार्क, 3 एमएलडी क्षमता का एसटीपी (STP) और अन्य सार्वजनिक संरचनाएं स्थित हैं।
📢 संरक्षण की आवश्यकता
रांची की यह ऐतिहासिक और पर्यावरणीय धरोहर तत्काल संरक्षण की बाट जोह रही है। स्थानीय प्रशासन को इस तालाब को प्रदूषण मुक्त करने और अतिक्रमण हटाने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि रांची की यह महत्वपूर्ण पहचान कायम रह सके। सूत्रों के हवाले से खबर है कि बड़ा तालाब अतिक्रमण और जहरीले पानी का शिकार हो गया है वहीं नगर निगम के भ्रष्टाचार की गंध दूर तक फैल रही है।
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